
सियासत की दुनिया में दिल भी है, दर्द भी है, लेकिन सबसे ऊपर “डील” है। और जब बात हो अपना दल (एस) की, तो यह डील अब घरेलू झगड़े जैसी लगने लगी है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने पति और यूपी सरकार के मंत्री आशीष पटेल का ‘डिमोशन’ कर पार्टी में भूचाल ला दिया है। अब तक कार्यकारी अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजमान रहे आशीष जी अब “सिर्फ” राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। यानी… पहले नंबर 2, अब नंबर 3!
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सियासी ‘संघर्ष’ या पारिवारिक ‘ड्रामा’?
पति-पत्नी का रिश्ता जब सियासत से जुड़ जाए तो समझिए ‘किचन कैबिनेट’ की मीटिंग भी किचन में नहीं, मंच पर होती है। आशीष पटेल की कुर्सी खिसकी, और उनकी जगह अब माता बदल तिवारी पार्टी के नई चमकते सितारे बन गए हैं। हालांकि दोनों को उपाध्यक्ष बनाया गया है, पर पार्टी पत्र में साफ लिखा है—तिवारी जी नंबर 1, आशीष जी नंबर 2 (मतलब 3)।
बगावत के बाद बवाल: कौन असली, कौन नकली ‘अपना दल’?
जब पार्टी के ही 9 विधायक कहें कि हम ही “असली” अपना दल हैं, तो ये मामला “कौन बनेगा पार्टीपति?” जैसा हो जाता है। कुछ पुराने नेता ब्रजेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में ‘अपना मोर्चा’ बना चुके हैं। दावा है—13 में से 9 विधायक उनके साथ हैं! यानी अनुप्रिया-आशीष की टीम के पास अब गिनती की सियासत ही बची है।
आशीष पटेल का दर्द: “1700 करोड़ की मीडिया, हमारी खबर ही नहीं दिखती!”
कार्यक्रम में आशीष जी मंच पर बोले तो दर्द छलक पड़ा। उन्होंने नाराज़गी जताई यूपी सरकार और सूचना विभाग पर। बोले—“हमें मीडिया में जगह नहीं मिलती क्योंकि हमारे पास 1700 करोड़ का बजट नहीं।” भाईसाहब, ये मीडिया है, यहाँ TRP से सब चलता है, TRUTH से नहीं।
क्या मंत्री पद से इस्तीफा देंगे आशीष? संकेत तो मिल रहे हैं…
सूत्रों की मानें तो आशीष पटेल जल्द ही योगी सरकार का मंत्री पद छोड़ सकते हैं। सियासी रूप से देखा जाए तो ये कदम भाजपा पर दबाव बनाने और गठबंधन में अपनी “वैल्यू” दिखाने के लिए हो सकता है। कार्यक्रम में उन्होंने इशारों में गठबंधन धर्म और पीठ में छुरा घोंपने जैसी बातें भी कही।
कुर्मी वोट बैंक का खेल और पंचायत चुनाव का इशारा
अपना दल (एस) का उत्तर प्रदेश के कुर्मी समाज में गहरा प्रभाव है। लेकिन लोकसभा चुनाव में एक सीट हारने और पार्टी के अंदर विद्रोह ने स्थिति को डावांडोल बना दिया है। अब पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला, भाजपा के लिए Warning Bell साबित हो सकता है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि का असर: अनुप्रिया बनाम परिवार
राजनीति और रिश्तों का टकराव तब और पेचीदा हो जाता है जब ससुराल भी पार्टी हो और संगठन भी। अनुप्रिया का अपनी बहन और मां से पुराना विवाद भी सामने आ गया है, जिसकी जड़ में आशीष पटेल को ही बताया गया। ऐसे में पार्टी की सियासत घर की लड़ाई जैसी लगने लगी है—बस कैमरे और माइक ऑन रहते हैं।
अंत में सवाल बस इतना: अपना दल बचेगा या ‘अपना मोर्चा’ बाज़ी मारेगा?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में गठबंधन पार्टियों का भविष्य भाजपा की सोच और सहयोगियों की “सुनवाई” पर टिका है। आशीष पटेल अगर मंत्री पद छोड़ते हैं, तो ये भाजपा के लिए सीधा संदेश होगा: “हम छोटा दल हैं, लेकिन इग्नोर करने लायक नहीं!”
जब राजनीति में पति-पत्नी आमने-सामने हों, तो बहस संसद में नहीं, ड्राइंग रूम में होती है — बस फर्क इतना है कि यहाँ फैसले प्रेस रिलीज से होते हैं!